वह एक लड़की थी,
स्कूलबस के लम्बे सफ़र में चेहरा बाहर निकालकर गाती हुई, रंगीला का कोई गाना और इस
तरह उस संगीत की धुन पर कोर्स की कविताएं याद करती हुई, जिन्हें स्कूल के वाइवा
एग्ज़ाम में सुना जाता था। वाइवा पूरी क्लास के सामने होता था। ऐसे ही एक दिन वह
टीचर के पास खड़ी थी और कविता उस संगीत से इतना जुड़ गई थी कि पहले उसे उसी धुन पर
कविता गुनगुनानी पड़ रही थी और तभी बिना धुन के टीचर के सामने दोहरा पा रही थी।
टीचर ने पूछा- यह क्या फुसफुसा रही हो?
टीचर ने पूछा- यह क्या फुसफुसा रही हो?
- मैम, म्यूजिक से
याद की है poem..
- तो वैसे ही सुनाओ...
और तब ‘याई रे’ की धुन पर वह अंग्रेज़ी कविता उस क्लास में सुनाई गई।
डाँट पड़ी। लड़की को चुप करवाकर बिठा दिया गया।