शिमित अमीन लॉस एंजिल्स में रहते थे. वहीं से ‘भूत’ की एडिटिंग करते हुए रामगोपाल वर्मा ने उन्हें ‘अब तक छप्पन’ का निर्देशक बनने को कहा. अपने निर्देशक बनने को शिमित महज एक संयोग मानते हैं, लेकिन यदि ऐसा है तो यह दशक के सबसे खूबसूरत संयोगों में से एक है.
’अब तक छप्पन’ पुलिसवालों की ‘सत्या’ ही है, जो आपको चौंकाती है लेकिन उसके लिए उसे लंबे एक्शन दृश्यों की जरूरत नहीं है. उसके किरदार आम हैं, उनकी मजबूरियां, इच्छाएं और बातें भी आम.